साल 1930 में, 26 जनवरी को, भारत ने पूर्ण स्वराज दिवस मनाया था, क्योंकि उससे एक साल पहले, 1929 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन के डोमिनियन स्टेटस का विरोध करते हुए ''भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा'' यानी पूर्ण स्वराज का एलान किया था। इस तारीख से भारत का और भी इतिहास जुड़ा है, इसी दिन साल 1965 में हिन्दी भाषा को भारत की राष्ट्रभाषा भी घोषित किया गया था। इसके अलावा 26 जनवरी, 1950 को सारनाथ में अशोक के शेर को, भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में भी चुना गया था। आज देश के 74वें गणतंत्र दिवस के मौके पर, आइए इस रिपब्लिक कंट्री को और गहराई से जानें। गणतंत्र दिवस समारोह पहली बार साल 1950 में मनाया गया था! राजपथ पर बंदूकों के साथ परेड करते सैनिक, हवा में लहराता तिरंगा, विभिन्न राज्यों के कल्चर को रिप्रेजेंट करती झाकियां और देश की सेनाओं के कई अद्भुत करतब और एयरशो, हर किसी की अट्रैक्शन का सेंटर पॉइंट हैं। हालांकि 1955 में पहली बार इसे राजपथ पर आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे! इससे पहले इस उत्सव की मेजबानी नेशनल स्टेडियम, लाल किला और रामलीला मैदान किया करते थे। शायद आप जानते होंगे कि भारत के तत्कालीन सम्राट जॉर्ज पंचम के सम्मान में राजपथ को कभी किंग्स-वे के नाम से जाना जाता था। हालांकि आजादी के बाद सड़क का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया, और इसका मतलब भी किंग्स-वे होता है।
इस दिन 21 तोपों की सलामी दी जाती है। लेकिन ये सिर्फ 21 शॉट हैं। 25 पॉन्डर्स नाम की, भारतीय सेना की 7 तोपें होती हैं और इनसे तीन राउंड में फायरिंग की जाती है। इन तोपों को 1941 में बनाया गया था। आधिकारिक तौर पर 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसके बाद भारत एक गणतंत्र देश बन गया। आज का दिन 1930 को घोषित किए गए पूर्ण स्वराज दिवस की वर्षगांठ है। भारत का संविधान पूरी दुनिया में सबसे लंबा लिखित संविधान है। इसके "22 भागों में 448 लेख, 12 अनुसूचियां हैं। डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे। संविधान को पूरा होने में लगभग 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे। इसकी दो प्रतियां हस्तलिखित थीं, एक अंग्रेजी में और एक हिंदी में। 24 जनवरी, 1950 को इन handwritten copies पर 308 विधानसभा सदस्यों ने साइन किया था। इसके 2 दिन बाद, 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ। और इसी दिन, डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सरकारी भवन के दरबार हॉल में, भारतीय संघ के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। आज भी भारतीय संविधान की दोनों handwritten प्रतियां, संसद भवन के पुस्तकालय में हीलियम से भरे बक्से में सुरक्षित रखी गई हैं। इसके अलावा, भारत का सबसे बड़ा आदर्श वाक्य- सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद, अथर्ववेद से लिया गया है। साल 1911 में पहली बार आबिद अली द्वारा हिंदी भाषा में इसका अनुवाद किया गया था। यह मदन मोहन मालवीय थे, जिन्होंने सत्यमेव जयते के भारतीय आदर्श वाक्य का चयन किया था।
भारत का राष्ट्रगान- जन गण मन, सबसे पहले बंगाली भाषा में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। और इसका भी हिंदी भाषा में पहली बार अनुवाद, साल 1911 में आबिद अली ने, किया था, जिसे बाद में 24 जनवरी 1950 में आधिकारिक तौर पर भारत के राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था। भारतीय राष्ट्रगान के बोल और संगीत रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया है। और 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, की बैठक में इसे पहली बार गाया गया था। भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान गाया जाने वाला गीत 'Abide With Me' एक ईसाई भजन है, जो महात्मा गांधी जी को बहुत पसंद था। यह गणतंत्र दिवस समारोह के अंत का प्रतीक है और इस बीटिंग रिट्रीट समारोह में, 29 जनवरी को विजय चौक पर भारतीय सशस्त्र सेनाएं करतब दिखाती है। शायद इस नियम के बारे में आपको पता हो कि गणतंत्र दिवस पर देश के राष्ट्रपति जनता को संबोधित करेंगे, जबकि स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री का संबोधन होता है। शहीद स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए प्रधान मंत्री द्वारा प्रत्येक राष्ट्रीय अवसर पर अमर जवान ज्योति पर एक माला रखी जाती है। आज फिर, शाम को राष्ट्रपति भवन इलेक्ट्रॉनिक लाइटिंग से रोशन हो जाएगा, जो करोड़ों color combinations बनाती हैं। सरदार पटेल जी ने कहा था कि ''हर भारतीय को अब भूल जाना चाहिए कि वो एक राजपूत, एक सिख या एक जाट है, उसे याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है। द रेवोल्यूशन -देशभक्त हिंदुस्तानी की ओर से आप सभी को गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं! याद रखें, एकता ही किसी भी रेवोल्यूशन का आधार बन सकती है।